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अंतर / धूमिल
Kavita Kosh से
कोई पहाड़ संगीन की नोक से बड़ा नहीं है . और कोई आँख छोटी नहीं है समुद्र से यह केवल हमारी प्रतीक्षाओं का अंतर है - जो कभी हमें लोहे या कभी लहरों से जोड़ता है .