भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अंदाजा लगाना / अर्चना कुमारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दौलत से तौले जाएंगे
औकात जब

आंकी जाएगी
उम्र भर की कमाई

अपने हिस्से में खड़े
चंद रिश्तों की महक लिए

ठुकराऊंगी दौलत

मेरी अमीरी का अंदाजा
अपनी जागती रातों में लगाना।