Last modified on 9 जनवरी 2011, at 10:19

अंधकार / केदारनाथ अग्रवाल

तोड़कर सोने का बड़ा अंडा,
निकल आया है
अब सघन
अंधकार का पखेरू
पाँख खोले।

रचनाकाल: ०७-०८-१९६१