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अइसे न कोनो कहियो बिसारे / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना
Kavita Kosh से
अइसे न कोनो कहियो बिसारे।
जे कसम खाये, ओकरा निभाए॥
की मालूम हूक करेजा के ओकरा।
जे प्रेम के एगो आखर न जाने॥
टक-टक निहारइत बिनहिए से रस्ता।
करइत बीतल दिन, अगना-दुआरे॥
नीन आंख से हम्मर उड़ गेल कहिया।
करेजा धड़क के हुनका पुकारे॥
सबरी के जइसन जोगबइत बईर।
अचरा से अप्पन ऊ रस्ता बहारे॥