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अकाल-1 / सुधीर सक्सेना

आकाश में
जलपक्षी
लगातार भटक रहे हैं

उनके बसेरों का
कहीं कोई अता-पता नहीं

जलपक्षियों की आँखों में रेत
धरती की कथा आँक रही है ।