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अकाव / प्रदीप जिलवाने
Kavita Kosh से
बेमतलब नहीं
उनका उगना।
कुछ इच्छाएँ
कहीं भी हो जाती पैदा
खिल जाते
इच्छाओं के फूल कभी भी.
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