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अक्षांश / फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा / अनिल जनविजय

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अक्षांशों
तुम अपनी आँखें पूरी तरह से बन्द करो
जबकि मैं खोलता हूँ आँखें अपनी ।
हमारे अक्षांश एक ही तारे से होकर गुज़रते हैं ।
जब मैं आँखें बन्द करता हूँ, भाई,
तुम अपनी आँखें खोलो ।

जब हमारे हाथों ने सरू के सँगमरमर को तराशा,
न तो सँगमरमर और न ही सरू ने हमारा परिचय कराया ।
हमारे अक्षांश एक ही तारे से होकर गुज़रते हैं
एक ही समय ।

हमारे घर नहीं जानते कि समय महान है
दूर चल रही हैं ठण्डी हवाएँ,
हमारे अन्धेरे एक दूसरे के पीछे चलते हैं ।
हमारे अक्षांश एक ही तारे से होकर गुज़रते हैं ।

और हम उसी आकाश को अनन्तकाल तक देखते हैं
फिर भी हम एक दूसरे को नहीं देख पाते ।

रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय