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अगर आप दिल से हमारे न होते / राजश्री गौड़
Kavita Kosh से
अगर आप दिल से हमारे न होते,
मुहब्बत के दिल को सहारे न होते।
तसव्वुर में तुमको न रखते छुपा कर,
हमारे न तुम, हम तुम्हारे न होते।
कि बढ़ जाते अन्जान राहों पर हम तो,
अगर तुम हमें यूँ पुकारे न होते।
पसीने की स्याही से न लिखते इरादे,
अगर हम मुकद्दर के मारे न होते।
मर जाते हम तो जहर पीते-पीते,
जो तुम दिल की दुनिया संवारे न होते।
वजूद अपना खो देती बहती नदिया,
अगर इसके ये दो किनारे न होते।
इबादत न फूलों की मंज़ूर होती
अगर चाँद, सूरज,सितारे न होते।