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अगर तुम याद करते हो मुझे किसी रात / निकिफ़ोरॉस व्रेताकॉस / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अगर तुम याद करते हो मुझे किसी रात,
तो चिन्ता नहीं करना
अगली सुबह, शाम, या इतवार को भी ।
मैं किसी बीमार आदमी के आसपास होऊँगा
खोज रहा होऊँगा वसन्त अपनी सख्त छड़ी से
और बग़ल में दबाए रोटियों की पोटली
घर-घर जा रहा होऊँगा ।
जब तक मैं न लौटूँ तुम्हारे पास
आग जलाए रखना
क्योंकि अभी तक अक्सर भीगता रहा हूँ मैं ।
तुम्हारे घुटनों पर रखकर
मैं सुखाऊँगा अपनी गीली कमीज़ ।
यह ख़याल रखना
कि गली में खुलता है जो दरवाज़ा
वो खुला रहे
ताकि तुम्हें मेरी आवाज़ सुनाई दे सके ।
क्योंकि हर बार जब मैं वापिस लौटता हूँ
डूबती दुनिया के पास से
डूब रहा होता है चाँद
और सितारों की चमक फीकी पड़ने लगती है ।
रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय