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अगर है नींव ही कच्ची हमारे आशियाने की / रंजना वर्मा
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अगर है नींव ही कच्ची हमारे आशियाने की।
गिराने के लिये काफ़ी है इक ठोकर ज़माने की॥
सँवारा है जिसे करता सदा दे आइना थपकी
किया करता हमेशा वक्त कोशिश है गिराने की॥
कभी कमियाँ नहीं है देखता अपनी कोई लेकिन
करे कोशिश हमेशा दूसरों को आजमाने की॥
समय के गर्त में हैं खो चुके किस्से मुहब्बत के
हक़ीक़त भूल बैठे लोग उल्फ़त के फ़साने की॥
नहीं चिंता उन्हें कोई फ़क़त नज़रें हैं कुर्सी पे
अदावत की सियासत है वतन के हुक्मरानों की॥