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अग्निशिखा / कैत्रिओना नी क्लेअरचिन / राजेश चन्द्र

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एक अग्निशिखा
मेरे भीतर लहकती है
जब मैं तुम्हारे साथ होती हूँ

मैं सांंस नहीं ले पाती
होंठ प्रस्फुटित हो जाते हैं
कलियों की तरह
मैं संज्ञाशून्य हो जाती हूँ

आकुल
समाधिस्थ
बेसुध

मैं ज़ोर लगाती हूँ
कि बुझ जाए
यह तीव्र आवेग

यह अग्निशिखा
जई के खेत से गुज़रती

अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र