अच्छा होता / श्रीप्रसाद
बच्चे बोले, प्यारी नानी
हमें सुनाओ एक कहानी
मगर कहानी नई-नई हो
कभी नहीं जो कही गई हो
मनभाई हो नई कहानी
शुरू करो जब प्यारी नानी
प्यारे बच्चो, नानी बोली
कानों में मिसरी-सी घोली
बिलकुल नई कहानी सुंदर
सुनो सभी बच्चो तुम मिलकर
काफी पहले धरती सारी
बनी हमारी माता प्यारी
हम पैदा होते धरती पर
बढ़ते फिर हम खेल-खेलकर
इसीलिए माता कहलाती
इसीलिए यह पूजी जाती
पहले धरती पर आए वन
पौधे खड़े हो गए बनठन
ऊँचे-नीचे पेड़ खड़े थे
पेड़ कई तो बहुत बड़े थे
फूल और फल भरे हुए थे
मुकुट फूल के धरे हुए थे
वन थे घ्ज्ञने, घनी हरियाली
लगते थे वन शोभाशाली
आगे नानी बोलीं बेटे
वन थे शोभा सभी समेटे
तुम्हें पता है बादल आते
झम-झम-झम पानी बरसाते
पर वन के कारण आते हैं
वृक्ष बादलों को लाते हैं
घने-घने वन, गहरे बादल
बरसाते बादल गहरा जल
तब भारी बरसा आती थी
धरती जल से भर जाती थी
मगर तभी फिर मानव आया
बना-बना घर गाँव बसाया
काटे वन मेंटी हरियाली
फिर भी थी जग में खुशहाली
बढ़ते चले गए फिर मानव
वन के लिए बने वे दानव
काट-काटकर पेड़ गिराए
पेड़ सभी रोए-चिल्लाए
खिले फूल सूखे मुरझाकर
सूखे सारे फल डाली पर
पर मानव को दया न आई
पेड़ों की हर पाँति गिराई
घर पर घर बनते जाते थे
वृक्ष देखकर भय खाते थे
उधर हो रहे थे कम बादल
कम होता जाता वर्षा जल
मौसम में आई गरमाई
बरफ पिघल धरती पर आई
जब जाड़े के दिन आते थे
लोग बरफ गिरती पाते थे
बच्चे खेल बरफ से करते
अब न बरफ झोली में भरते
और बने घर, नगर बने फिर
टूटे पर्वत, वृक्ष कटे फिर
सबने वृक्ष उजाड़े वन के
काम किए सब अपने मन के
कलें, कारखाने फिर आए
वृक्ष और वन गए सताये
गरमी बढ़ी, हुई कम बरसा
धरती का मन कितना तरसा
हम गरमी से घबड़ाते हैं
जो कुछ किया वही पाते हैं
वन खोए, हरियाली खोई
फूट-फूटकर धरती रोई
बदला मौसम, बढ़ी रुखाई
हरियाली वह पुनः न आई
बरफ नहीं है वह पर्वत पर
जो पहले खिलती थी ऊपर
हमने स्वयं कुल्हाड़ी मारी
हानि हुई है कितनी भारी
बच्चो, अब चेतें हम आगे
अब हम सोच-सोचकर जागे
धरती पर रोपें फिर से वन
हरियाली है अपना जीवन
हरियाली से भरता है मन
पेड़-पेड़ है धरती का धन
वन होंगे, बरसा आएगी
फिर हरियाली मुसकाएगी
बादल फिर गहरे आएँगे
काफी पानी बरसाएँगे
घने-घने वन, पर्वत सुंदर
सूरज मुसकाएगा ऊपर
खाओ कसम वृक्ष उपजाएँ
फिर पहले की शोभा लाएँ
खतम हुई बस यहीं कहानी
तब बच्चों से बोली नानी
नई कहानी तुम्हें सुनाई
मगर कहो क्या तुमको भाई
बच्चों ने सचमुच यह जाना
अच्छा होता पेड़ लगाना।