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अच्छी ख़बर कहीं से आए / प्रेमरंजन अनिमेष

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अच्छी ख़बर कहीं से आए
झोंका इधर कहीं से आए

उसके लिए न जाना उस तक
सूरज नज़र कहीं से आए

घर की हर दीवार में खिड़की
बाहर नज़र कहीं से आए

लड़की पानी पाती बानी
ख़ुशबू डगर कहीं से आए

ठहरा जल है फेंको कंकड़
दिल में लहर कहीं से आए

इतना सूना सा है गूँजे
धड़कन अगर कहीं से आए

मन को रोक न उड़ जाने दे
पंछी ये घर कहीं से आए

जीवन है ये आँख का पानी
शिकवा न कर कहीं से आए

ख़बरों की भीड़ों में खोए
अपनी ख़बर कहीं से आए

उम्र गई बिन दुनियादारी
अब क्या हुनर कहीं से आए

जो तेरे 'अनिमेष' न उन पर
तेरा असर कहीं से आए