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अच्छे दिनों में क्या सब कुछ अच्छा होगा / कृष्ण कल्पित
Kavita Kosh से
अच्छे दिनों में क्या सब कुछ अच्छा होगा
जितने भी बुरे कवि हैं
वे क्या अच्छे दिनों में अच्छे कवि हो जाएँगे
क्या हत्यारे अच्छे हत्यारे पुकारे जाएँगे
क्या डाकू भी सुल्ताना डाकू जैसे अच्छे और नेक होंगे
क्या वेश्याओं को गणिकाएँ कहा जाएगा अच्छे दिनों में
जिसका भी गला रेता जाएगा
अच्छे से रेता जाएगा अच्छे दिनों में
बुरे भी अच्छे हो जाएँगे अच्छे दिनों में
आएँगे
ज़रूर आएँगे अच्छे दिन
किसी दिन वे धड़ाम से गिरेंगे आकर !