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अजीब तरीका था उसका प्यार करने का / शमशाद इलाही अंसारी
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अजीब तरीका था उसका प्यार करने का
नक़ाब देकर वो मुझे बेनक़ाब करता था ।
कभी रोज़-रोज़ मिलता कभी न मिलता बरसों
दोस्त होकर वो बिछुड़ने का मलाल न करता था ।
मेरे बगैर मजमा उसका कभी हो सका न पूरा
जाने क्यों इख्तेदार से बाहर मुझे वो करता था ।
नफ़रत की लौ जब-जब जली मेरे ही घर जले
मेरा पैगामे अमन भी वो नज़र अंदाज़ करता था ।
"शम्स" कब से कर रहा तू इंसाफ़ की मिन्नते
सदा-ए-खल्क सुनकर भी वो अनसुना करता था ।
रचनाकाल: 20.06.2010