अजीब लोग हैं कैसा कमाल करते हैं
मुझी से पूछ के मुझसे सवाल करते हैं
वहाँ के लोग कभी घास भी तो देते थे
यहाँ के लोग तो सीधे हलाल करते हैं
कभी ये प्याज़, कभी दाल, रोटियां ढूँढें
ग़रीब लोग भी कैसी मज़ाल करते हैं
बदल गए हैं कई लोग, उनकी मंज़िल भी
बदलते वक़्त का फिर क्यों मलाल करते हैं
कभी भी मिलके कोई काम ये नहीं करते
बवाल हो तो ये मिलकर बवाल करते हैं