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अठमी के भेल नंदलाल, बधावा ले के चलऽ / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अठमी<ref>अष्टमी तिथि</ref> के भेल<ref>हुआ</ref> नंदलाल, बधावा ले के चलऽ<ref>चलो</ref>
मेरो मन भेल नेहाल,<ref>निहाल</ref> बधावा ले के चलऽ॥1॥
सोने के छूरी से नार<ref>बच्चे का नाल</ref> कटायल,<ref>काटा गया</ref> रूपे<ref>चाँदी</ref> खपर<ref>खप्पर, एक प्रकार का बरतन</ref> नेहायल।
कानों में कुंडल, गले में मोहर, केसों में झब्बूदार॥2॥
रेसम के कुलिहा,<ref>बच्चों की टोपी</ref> साटन के टोपी, बीचे बीचे गोटा<ref>गोटा-पाटा</ref> लगाय।
सेही पहिर के कन्हैयाजी बिहँसथ, गावथि<ref>गाते हैं</ref> गोआल<ref>गोपाल, ग्वाल-बाल</ref>॥3॥
शब्दार्थ
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