भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अड़तीस दिन होगे किसानों नै दिल्ली मैं डेरे डाल रहे / रणवीर सिंह दहिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अड़तीस दिन होगे किसानों नै दिल्ली मैं डेरे डाल रहे।
तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।

पूरी और लाम्बी तैयारी करकै आज किसान आये सैं
अनुशासन घणे गजब का समझदार घणे पाये सैं
किसानी और जनता एकता बणा गजब की ढाल रहे।
तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई
इसकी ताकत के आगै भाजपा सरकार घबराई
या एकता घणे गजब की इसके ऊपर चाल रहे।
तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।

अडानी अम्बानी की खातिर किसानों की कड़ तोड़ दई
सब किमैं बायपास करकै क्यों तीन बिल जोड़ दई
कारपोरेट खेती की खातिर कर जनता को बेहाल रहे।
तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।

संघर्ष की रही पकड़ी आर पार की लड़ाई होवैगी
फुट गेरो संघर्ष पीटो भाजपा सब किमैं झोवैगी
रणबीर सिंह की कलम तै उठ सही सवाल रहे। 
तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे।