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अतीत / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

 

तुम
पहले-से नहीं रहे
वक्त ने बदल दी
तुम्हारी परिभाषा
तुम्हारा भूगोल
और
मैंने अब इतिहास पढ़ना
छोड़ दिया
वर्तमान में हूँ
तो दुहराव क्यों
मैं
खुद
इतिहास हो रही हूँ
कुतुब मीनार ने
खड़े-खड़े
यूं ही
अपने आपसे
सवाल किया