भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अध्यापक / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1
हम अध्यापक छी अध्यापक।
हम मटोमाट, हम बड़ व्यापक॥
हम ‘‘अइउण ऋलूक’’ रटल जखन,
कप्पार दरिद्रा सटल तखन।
दश वर्ष परश्रिम कैला पर-
दश टका भेटै, ई फल पापक॥
हम अध्यापक॥
2
‘‘एकः शब्द सम्य ज्ञातः’’
पढ़िकै सन्तोष करो मातः।
एही सँ निश्चय हैत नश-,
दैहिक, दैविक, भौतिक तापक॥
हम अध्यापक॥
3
फल में फल चानन ठोप करी,
अव्यय में सुप् केर लोप करी।
नहीं जग केँ रहलइ आब काज
‘‘ङीपक’’ वा ‘‘अजाद्यतष्टाषक’’॥
हम अध्यापक॥
4
‘‘कारक’’ बड़का भयकारक अछि,
‘‘तद्धित’’ तँ हृदय बिदारक अछि।
तकरा हम रटलहुँ भोंट फाड़ि-
पुनि काज पड़ै दोजक नापक॥
हम अध्यापक॥