Last modified on 7 सितम्बर 2018, at 00:43

अनकर संस्कृति / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

सभ केओ
छोड़ियौ
अपन-अपन
हठ।

हठक तारकें
नहि कसियौ
बेसी
कम सेहो
नहि कसियौ
बलू,
सितारक तार जकाँ
मध्यमे
रखियौ
तखने बहरायत
हठसँ
मोहक आ मादक धुन।

जिनगीक रेलगाड़ी
वन-पर्वत
नदी-नाला लाँघि
पहुँचि जयतैक टीसन धरि।