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अनचीन्हे रंग / भावना शेखर
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मैंने देखे हैं हजारों रंग
क़ायनात में बिखरे हुए
पर नहीं पहचान पाती
कुछ रंग आज भी,
यह कलर ब्लाइंडनेस है,
कोई भ्रम या तंगी तजुर्बे की ?
जोड़ चुकी हूं
रिश्ता सब रंगों से,
बस नहीं पहचानती
क्या रंग है पाप का
जंग का
और
तेरा ऐ खुदा!