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अनाम / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
भटक रहा जाने कब से
मेरी तलाश में शब्द
—मेरा आविष्कार करना चाहता है
वह
अपना नाम दे कर मुझे
पर मैं कहीं गुम ही रहता हूँ
सदा
ख़ुद को बचाने के लिए
—शब्द की पकड़ से
या कहूँ उसकी जकड़ से बाहर
आविष्कृत होना क़ैद होना है
—अनाम रहने में ही
मैं रह पाऊँगा मैं
समर्पित कर पाऊँगा प्यार अपना
तुम्हें
—शब्दातीत ।
—
6 अप्रैल 2010