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अनिद्रा के निदान हेतु एक नुस्खा / वेरा पावलोवा
Kavita Kosh से
फिलहाल पहाड़ों से उतरकर
आ नहीं रही है कोई भेड़
न ही गिनने को बाक़ी रह गई हैं छत की दरारें
जिनमें तलाशी जा सकें उनकी निशानियाँ
जिनसे प्रेम किया गया था किसी वक़्त ।
सपनों के पिछले किराएदार भी नहीं
जिनकी स्मृति जगाए रक्खें सारी रात
और वह दुनिया भी तो नहीं
जिसके होने का खास अर्थ हुआ करता था कभी
अब उन बाँहों की जुम्बिश भी नहीं
जिनमें थर-थर काँपता था प्रेम....
आएगी, जरूर आएगी तुम्हें नींद
लेकिन तब
जब पूरब में उदित होगा सूर्य
और आँसुओं में डूब जाएगी यह रात ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह