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अन्तिम रेलगाड़ी रुक चुकी है / महमूद दरवेश / श्रीविलास सिंह

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अन्तिम रेलगाड़ी रुक चुकी है आख़िरी प्लेटफ़ॉर्म पर ।
कोई नहीं है वहाँ गुलाबों को बचाने हेतु,
न ही फाख़्ता बैठने को
शब्दों से बनी स्त्री पर ।

समय का अन्त हो चुका है ।
कविता का असर नहीं होता झाग से अधिक ।
मत विश्वास करो हमारी रेलगाड़ियों का,
प्रिय ! मत प्रतीक्षा करो भीड़ में किसी की ।

अन्तिम रेलगाड़ी रुक चुकी है आखिरी प्लेटफ़ॉर्म पर।
किन्तु कोई नहीं बना सकता नर्सिसस का प्रतिबिम्ब
पीछे रात्रि के दर्पणों पर ।

कहाँ लिख सकता हूँ मैं देह के अवतरण की अद्यतन कथा ?
यह अन्त है उसका जिसका अन्त निश्चित था !
वह कहाँ है जिसका होता है अन्त ?

मैं कहाँ स्वतन्त्र कर सकता हूँ स्वयं को
अपनी देह में मातृभूमि से ?
मत विश्वास करो हमारी रेलगाड़ियों का,
प्रिय ! उड़ गई अन्तिम फाख़्ता ।

अन्तिम रेलगाड़ी रुक चुकी है आख़िरी प्लेटफ़ॉर्म पर ।
और कोई नहीं था वहाँ ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह