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अन्धारो / श्याम महर्षि
Kavita Kosh से
अन्धारै रै
सबळा हाथां सूं
लड़नै खातर
म्हनैं
म्हारै अन्तस मांय
अंवेरणी पड़सी
चिणगारी
इण चिणगारी रै तांण
लड़सूं म्हैं
वां अलेखूं हाथां सूं
जिका लगोलग
म्हारा अर म्हारी
बिरादरी रा कंठ
मोसता रैया है।
म्हैं अबे
म्हारी अन्तस री
दीठ सूं
ओळखण लागग्यो हूं
अन्धारै रै
वां हाथां नैं
जिकां नै कई लोग
आपरै इसारै सूं
चलावै।
म्हैं पिछाणग्यो हूं
वां हाथां नै
अर वां नै चलावणियां नै,
सागड़दी
उणां सूं राड़ करणै री
धारणा बणाय लिवी है।
म्हारै अन्तस री
दीठ मांय
दिखतो चानणौ
म्हारै साथै है
अर रैयसी
जुगां-जुगां