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अन्धेरो / कन्हैया लाल सेठिया
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अन्धेरो-
दिन रै पींजरै में
पकड़ीज्योड़ो
ऊनरो !
दूज रो चाँद-
पींजरै में टाँग्योड़ी
अधखाई रोटी !