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अन्य हायकू / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
Kavita Kosh से
इन्सान चेतेॅ
ठोकर लागला सें
जेना आन्हरोॅ ।
रंग लावै छै
घिसला पर हिना
छूला पर नै ।
नर-तन के
समान तन नै छै
सन्त तुलसी ।
गरीबी सम
कोय दुख नै छै
नर-तन में ।
परहित छै
सबसें बड़ोॅ धर्म
मानव-तन ।
ताजमहल
साक्षात् दर्शन छेकै
मोहब्बत के ।