अपना ख्याल रखियेगा / ललन चतुर्वेदी
बहुत अजीब लगता है
तब और भी जब अपने कहते हैं
अपना ख्याल रखियेगा।
अक्सर मोबाइल पर आधुनिक बच्चे
यह सलाह देना नहीं भूलते
जो वर्षों से प्रवास पर होते हैं
जिनकी प्रतीक्षा में पथरा जाती हैं
मां-पिता की व्याकुल आंखें
प्रेमिकाओं की मजबूरी
फिर भी समझ में आती है
पर क्या कहूँ पत्नियों के बारे में
जो अपना फर्ज निभाने में नहीं चूकतीं
अपना ख्याल रखियेगा
बहुत आसान है कहना-ख्याल रखियेगा
पर कितना कठिन है अपना ख्याल रखना
अपनों के दूर रहने पर
केवल अपने ही ख्याल आते हैं
आदमी अपना ख्याल नहीं रख पाता
ज़िन्दगी इतनी औपचारिक हो जाएगी
इसका हरगिज अनुमान नहीं था
इतने भावशून्य होते हैं रिश्ते!
इतने गणितीय होते हैं सम्बंध!
मानो दो पक्षों के बीच हो कोई अनुबंध
अगर सेवा-शर्तों में हुई थोड़ी-सी चूक
टूट जायेंगे सारे बंधन अटूट
नेह-नाता में भी नहीं रही मिठास
कैसा समय का यह क्रूर अट्टहास
रिश्तों ने इस तरह छला है कि
विश्वास पक्का हो चला है
अपना ख्याल रखने में ही भला है।