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अपना भी वही है जो हर शख़्स का क़िस्सा है / कांतिमोहन 'सोज़'
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नए साल की यह पहली ग़ज़ल कर्ण सिंह चौहान की नज़्र
अपना भी वही है जो हर शख़्स का क़िस्सा है ।
दुःख सहना सुखी रहना ये प्यार का हिस्सा है ।।
आएगा तो बिछड़ेगा बिछड़ेगा तो दुःख देगा
फिर भी मेरा दिल उससे मिलने को तड़पता है ।
इस दर से न जाऊँगा मैं नैन बिछाऊँगा
देखूँगा तेरा रस्ता आखिर तेरा रस्ता है ।
अब कोई भला समझे या कोई बुरा माने
धागा है तो धागा है रिश्ता है तो रिश्ता है ।
खुश रहना मेरे यारो मत सोज़ के ढिंग आना
यां सोज़ का आलम है बादल-सा बरसता है ।।
8 जनवरी 2015