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अपनी आग को / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
स्त्री
चुपचाप देखती रहती है
अपनी आग को
आँसू बनकर
ढलते हुए
और सोचती रहती है
आँसू के
आग बनने के बारे में।