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अपनी नन्हीं शिक्षिका को याद करते हुए / बैर्तोल्त ब्रेष्त / देवेन्द्र मोहन
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याद करता हूँ अपनी नन्हीं शिक्षिका को
उसकी यादें, नीली गुस्साई आग
और उसका पुराना पड़ गया चौड़े हुड वाला लबादा
और चौड़ा गोटेदार किनारा,
मैंने नाम दिया
आकाश पर आरोयन को स्तेफ़िन<ref>ब्रेष्त की दिवंगत कवयित्री प्रेमिका मार्गरेत स्तेफ़िन, जो मसक्वा में टी०बी० और ठण्ड के कारण मर गई थी</ref> तारा पुञ्ज
ऊपर देख
उसका मनन करते,
सिर, हिलाते
मुझे लगा कि
खाँसने की हलकी सी
आवाज़ सुनी ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेन्द्र मोहन
शब्दार्थ
<references/>