अपने कुल की मर्यादा भुलाकर
मैंने देवताओं की पंगत में
जा बैठने की भूल की थी.
जो वस्तु पराक्रम से लड़कर लेनी थी
उसके लिये याचना में हथेली फैला दी थी.
घूँट-दो-घूँट अमृत तो मिल गया
पर उसके बदले में
मैंने अपनी गर्दन ही कटवा ली थी.
अपने कुल की मर्यादा भुलाकर
मैंने देवताओं की पंगत में
जा बैठने की भूल की थी.
जो वस्तु पराक्रम से लड़कर लेनी थी
उसके लिये याचना में हथेली फैला दी थी.
घूँट-दो-घूँट अमृत तो मिल गया
पर उसके बदले में
मैंने अपनी गर्दन ही कटवा ली थी.