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अपने चरणों का रंग / रामगोपाल 'रुद्र'
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अपने चरणों का रंग चढ़ा दे मन पर
ऐसा कि आँख का अंजन तक रँग जाए!
सुरमई सीपियों से फूटें जो मोती,
तो आँखों से मानिकमाला टँग जाए!