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अपने जज़्बात को सबसे न छुपाते रहिये / रंजना वर्मा

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अपने जज़्बात को सब से न छुपाते रहिये
दिल के एहसास को होठों पे भी लाते रहिये

दुश्मनी से न हुआ है सवाल हल कोई
जब मिले मौका नये दोस्त बनाते रहिये

उम्र भर साथ दे कोई नहीं होता हरदम
चंद रोज़ा है उमर साथ निभाते रहिये

लोग मुँह फेर के पीछे से उड़ायेंगे हँसी
दास्ताँ अपनी न यूँ सबको सुनाते रहिये

बाद पतझार के आ जायेंगे पत्ते फिर से
यूँ खिजाओं से नहीं आँख चुराते रहिये

लोग इल्ज़ाम लगाना ही मुकद्दर समझें
अश्क़ आंखों में छुपा सबको हँसाते रहिये

ख़ार में फँस के उलझ जाए न दामन अपना
ऐसे दुश्मन से जरा खुद को बचाते रहिये