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अपने फ्रेंड्स के लिए कविता / रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति

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मैं उसको प्यार करता हूं.... आय लव हर
वो अनफ़िनिश्ड बुक की तरह लगती है
बट आई डोंट टच द ग्रेट बुक्स लेकिन महसूस करता हूँ
और मेरे दोस्त मैं अपने प्यार के लिए बहुत कुछ कहूँगा
जैसे कुछ भी बुक की तरह नहीं और न लवर की तरह
इस तरह उसे पढ़ा नहीं जा सकता है
जिसे मैं गाता हूँ और प्यार करता हूँ

मुश्किल है क़िताबों को पेड़ों और फूलों की तरह देखना
रामायण को कोयल की तरह गाना मेरे दोस्त
कुरान और बाइबिल को गिटार पर बजाना और हार्ड
बट आई थिंक इसे हमारी कल्चर होना ज़रूरी है

मैं उस लड़की से प्यार करता हूँ
धूप में पेड़ के खड़े रहने जैसा
क्या तुमने ऐसा प्यार किया है
जो फूलों की तरह लहराता और मिट्टी जैसा ठोस

तुम मुझ से बातें करो
यह कालीदास की बड़ी कल्पनाओं का प्यार है
ये वही काले बादल विदिशा पर उड़ रहे हैं

मेरे दोस्त प्यार दुनिया को देखने का एंगल है
जहाँ हार और जीत नहीं होती
यह कविता तुम्हारे लिए है तुम जो प्यार करते हो
ओनली फॉर यू