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अप्प दीपो भव / आम्रपाली 1 / कुमार रवींद्र

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उत्सव है
 आज आम्रपाली के मन में

आयेंगे तथागत अभी
उसके घर जीमने
स्वर्ग उतर आया है
उसके ही आँगने

जन्मी थी वह
अनाथ ही किसी विजन में

रात कटी
मन उसका सोनबरन सूरज है
अमराई में उसकी
अचरज-ही-अचरज है

देखे थे उसने
प्रभु भोर के सपन में

नगरसेठ-राजकुँवर
बाट तकें द्वार-खड़े
मखमली चँदोवे तने
आँगन में रत्न-जड़े

भिक्खु-संघ
आएगा आज आम्रवन मे