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अप्प दीपो भव / आम्रपाली 3 / कुमार रवींद्र
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और...
आम्रपाली की उम्र हुई -देह ढली
सारे सम्मोहों से परे हुई
गर्व चुका
साँसों का रथ आकर
यमपुर के द्वार रुका
झरा हुआ पात हुई
जो रही कुसुम-कली
साँस थकी
मन की आस्थाएँ
अब हुईं और
आत्मा भी उसकी है
खोज रही नया ठौर
भीतर हर कोने में
करुणा की जोत जली
जनपदकल्याणी का
रूप ढहा -मन महका
फल चखता जो पंछी
और नहीं वह चहका
थी अनाथ
और हुई वह खाली अंजली