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अफनी शकूर : माँ की ममता / नायरा वहीद / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
ममता । एक कविता है ।
एक मुखर ।
भयानक ।
कठिन ।
चकाचौंध करती कविता ।
जब तुम उसे अपने शरीर में उड़ेलती हो ।
वह एक कविता होती है ।
जब तुम धोती हो उसका नया बदन । रसोई के बेसिन में।
वह एक कविता होती है ।
जब तुम यह नापती हो कि तुम्हारे घर से सभी सड़कें
कितनी दूर हैं ।
कि उसे अपनी सबसे अच्छी दोस्त के घर पहुँचने में और वहाँ से
ज़िन्दा वापिस लौटने में
कितना समय लगेगा ।
यह एक रणनीतिक कविता है ।
दिशासूचक । स्वतन्त्र विचारों वाली रूढ़िहीन कविता
वास्तुकला से जुड़ी एक कविता । एक सजग शिल्प ।
एक युद्ध नायक की कविता ।