भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अब आए या न आए / साहिर लुधियानवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अब आए या न आए इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो

हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ
यारो ! कोई तो उनकी ख़बर पूछते चलो

जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल शनास हैं
उनको भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो

किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
ऐ रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो