Last modified on 27 फ़रवरी 2021, at 00:06

अब आप भी पधारें,खेला अदब का है / जयनारायण बुधवार

अब आप भी पधारें,खेला अदब का है
जो जी में आये छानें तेला ,अदब का है।

 खाली पड़ी हुई है दूकान किताबों की
सब भीड़ है सर्कस में मेला अदब का है।

चप्पल से ले के जूता,शीशे से इत्रदानी
 हर माल है मुहैया,ठेला अदब का है।

जब वक्त मिले छीलें,खुद खाएं और खिलाएं
अब फेसबुक पे बिकता,केला अदब का है।

जिस तरह की मर्ज़ी हो चंपी कराते रहिये
मायूस नहीं होंगे,चेला अदब का है।