भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अब उसकी बज़्म में कौन आएगा खुदा जाने / कांतिमोहन 'सोज़'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अब उसकी बज़्म में कौन आएगा खुदा जाने I
सुना है शमा से बदज़न हुए हैं परवाने II

जो रोज़ बढ़के मेरा जाम छीन लेते थे
वो आज मुझको लिए जा रहे हैं मयखाने I

नयी सदी में नए हादिसे तो होने हैं
सुना है होश की पीने लगे हैं दीवाने I

ग़ज़ल का फिर से सितारा बुलन्द होना है
खुदा करे रहें सालिम ग़ज़ल के दीवाने I

चमन के अश्क न पोंछो वो दर्द से पुर है
चमन के हाल पे हंसते हैं आज वीराने I

उसी के नाम पे सजती थी सोज़ की महफ़िल
उसी के नाम पे छलका करेंगे पैमाने II