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अब किसे बनवास दोगे / अध्याय 4 / भाग 2 / शैलेश ज़ैदी

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लोग कहते हैं कि अपने सतीत्व के सबूत में
सीता को देनी पड़ी थी अग्नि परीक्षा
और यह परीक्षा ही उतार पायी थी
राम की तनी हुई भौंहों की प्रत्यंचा
लोग शायद नहीं जानते अग्नि परीक्षा का अर्थ
लोग शायद नहीं जानते
आग में तपकर कुन्दन हो जाने की कला
दहक रही थी लंका में राम के विरुद्ध
शत्रुता की जो आग
सीता तपी थीं उस आग के भीतर
और नहीं आ सकी थी
उनके व्यक्तित्व पर कोई आँच
सीता ने बता दिया था
कि आदमी के लिए जरूरी है
आग के बीच से होकर गुजरना
और इस गुजरने में
व्यक्तित्व की गरिमा को बरकरार रखना

फिर वह, जिसे गुजरना पड़ा हो
चौदह वर्षों की विरहाग्नि के बीच से होकर
और जो निकल आया हो
इस आग के भीतर से बेदाग
लोगों को चाहिए कि उससे पूछें
क्या होती है जीवन की अग्निपरीक्षा
क्या होता है अग्नि परीक्षा से गुजरना
और इस गुजरने के बीच
व्यक्तित्व की गरिमा को बरकरार रखना

राम और लक्ष्मण का
मात्र एक निर्णय
छोड़ गया उर्मिला के पास
तपस्या के लिए एक दहकता वन -प्रान्तर
और कंचन जैसा उर्मिला का व्यक्तित्व
सहज ही तब्दील हो गया कुन्दन में
एक लम्बी अग्नि परीक्षा में तप कर