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अब चित चेत लखो निज नापमे / संत जूड़ीराम
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अब चित चेत लखो निज नापमे।
छिन-छिन पल-पल जात सरक्को कौन करी को सामे।
सुत बनता पर पार मार बस अंतकाल आवत नहिं कामे।
कसत फंद जम बंद जीव की सूखत मूल फूल ज्यौं घामे।
दौरत फिरत पार नहिं पावत आवत नहीं ज्ञान उर तामे।
कीनौं कर्म-धर्म को मारग मर-मर गये उगत फिर जामे।
करो निहार विहार बृम सो देख अटल पद पूरन धामे।
जूड़ीराम सतगुरु की महिमा जिन मन कये राम के सामे।