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अब जिंदगी में कोई भी नेमत नहीं रही / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
अब जिंदगी में कोई भी नेमत नहीं रही
मत साथ दे अगरचे मुहब्बत नहीं रही
अब भी है चाहतों के लिये दिल तरस रहै
ये बात और है कि वो गुरबत नहीं रही
पतझार से भरा है सफ़र आज ये मेरा
हरियालियों की अब मुझे आदत नहीं रही
गुज़रे पलों की याद तो है अब भी सालती
गरचे कि अब पुरानी वो सोहबत नहीं रही
हर ओर आँसुओं से भरी बेकसी मिली
सिर पे खुदा की अब मेरे रहमत नहीं रही
है किसलिये तू यूँ ही मेरे साथ चल रहा
अब साथ हो तेरा वही किस्मत नहीं रही
आते जो तेरी राह में कोई न जानता
तुझको ही किन्तु मेरी जरूरत नहीं रही