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अब तो मर जाने का मन है / दीपक शर्मा 'दीप'

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अब तो मर जाने का मन है
मतलब,घर जाने का मन है

और उधर जाना है दोज़ख
 और उधर जाने का मन है

किस बस्ती से आ ये,तुम हो
कौन,किधर जाने का मन है?

आज हमारा हश्र लिखो तुम
 आज गुज़र जाने का मन है

यार ख़ला से ख़ूब निभा ली,
मुँह तक भर जाने का मन है!

पागल बन कर देख लिया है
  पागल कर जाने का मन है

संदल सी आ लिपटो मुझ से
जान! निखर जाने का मन है

जुड़ कर इतना भोग चुका हूँ
हाय बिखर जाने का मन है

हिम्मत-विम्मत काम न आई!
तो फिर डर जाने का मन है?

बिलकुल मन है-मन है-मन है
  कुछ तो कर जाने का मन है

और उधर ही वाइज़ का घर
 दीप जिधर जा ने का मन है!