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अब भी / संज्ञा सिंह
Kavita Kosh से
पेड़ के
आख़िरी पात की तरह
हिलना चाह रहा है
कोई विचार
बरसात के
आख़िरी बादल की तरह
उठाना चाह रहा है
कोई सपना
ज़िन्दगी की
आख़िरी साँस की तरह
आना चाह रही है
कोई उम्मीद
रचनाकाल : 1994, जौनपुर