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अब ‘आटोग्राफ़’ की लत बन गई है / जहीर कुरैशी
Kavita Kosh से
अब `ऑटोग्राफ़' की लत बन गई है
समारोहों की आदत बन गई है
किसी बरगद की बाहों में पहुँचकर
लता पर पेड़ की छ्त बन गई है
दिए थे कल जो उसने घाव गहरे
वो अब यादों की दौलत बन गई है
अनाथालय से ले आए थे जिसको
वो लड़की घर की इज़्ज़त बन गई है
कभी जोड़ा था जिसको पाई -पाई
वही अब मेरी हिम्मत बन गई है
चलो, सत्ता में भागीदार होकर
दलित-जनता की ताकत बन गई है
समंदर में रहे जो लोग प्यासे
नदी उनकी ज़रूरत बन गई है