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अभागे, गा! / अज्ञेय
Kavita Kosh से
मरता है?
जिस का पता नहीं
उस से डरता है?
-गा! जीता है?
आस-पास सब कुछ इतना भरा-पुरा है
और बीच में तू रीता है?
-गा!
दुःख से स्वर टूटता है?
छन्द सधता नहीं,
धीरज छूटता है?
-गा!
याकि सुख से ही बोलती बन्द है?
रोम सिहरे हैं, मन निःस्पन्द है?
-फिर भी गा!
अभागे, गा!
बर्कले (कैलिफ़ोर्निया), 10 फरवरी, 1969