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अभिजन / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

Kavita Kosh से
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पारसी - गोर नाम मुख व्यक्त रुख पट परिधान अनन्य
नमछरि छोहरि पारसि क निरखि रसिक मन धन्य।।22।।

यवनी - अवनी तल नवनीत - मृदु सुविदित यवनी गोरि
पट - ओटहु दृग चोट कय दैछ रंग रस बोरि।।23।।

फिरंगिनी - विदित महाश्वेता रुधिर कपिश केश, दृग पिंग
मुक्त फिरंगिनि रंगिनी हेरइत करइछ दंग।।24।।

पार्वती (पहाड़ी) - सरल विलोकन, छल न कन ओज भरलि रस पूर
गंधक - वरनी पार्वती मृगमद - गंधा दूर।।25।।

वनवासिनी - कृष्णा मसृणा कच कुटिल कर्ण - फूल फूलेक
वनवासिनि हासिनि सरल देखिअ सुचित कनक।।26।।